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जल्द नौकरी पाने के लिए ऐसे बनाएं अपना सीवी

Create your CV to get a job soon

जब भी हम जॉब के लिए जाते है तो अप्लाई करते समय सीवी ही आपका पहला इम्प्रेशन होता है। ऐसे में एक बेहतर सीवी बनाना और सीवी पर मेहनत करना जरुरी है। हम आज आपको बता रहे हैं सीवी से जुड़ी कुछ जरुरी बातें जो आपको ध्यान में रखनी चाहिए । क्या आपको पता है कि आमतौर पर आपका सीवी कितना प्रभावी है इसका अंदाजा इंटरव्यू लेने वाला अधिकारी महज छह सेकंड में लगा सकता है। यानी आपका बायोडाटा कितना प्रभावी है इसकी परख नौकरी देने वाली कंपनियां महज कुछ सेकंड में कर लेती हैं। ऐसे में आपका बायोडाटा या सीवी पहली नजर में ही प्रभावित कर जाए, इसके लिए इसमें इन पांच चीजों का होना जरूरी है। 

पहले कहीं काम किया है आपने 
नौकरी देने वाली कंपनियां अक्सर सबसे पहले इस बात पर गौर करती हैं कि आपने किन पिछली कंपनियों में काम किया है, और करियर के लिहाज से आपका क्या वर्क एक्सपीरियंस है। ऐसे में सबसे पहले और हाईलाइट करके अपनी पुरानी कंपनियों का ब्यौरा देने में कोताही न करें।

एकैडमिक उपलब्धि करें हाइलाइट 
सीएटल यूनिवर्सिटी के द एल्बर्स स्कूल ऑफ बिजनेस एंड इकोनॉमिक्स के शोध की मानें तो आपने जिस कॉलेज में पढ़ाई की है वह राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्या रैंक रखता है या फिर आपकी उसमें क्या उपब्धियां रही हैं, इसकी जानकारी इंटरव्यू के दौरान आपका प्रभाव स्थापित करने में मददगार हो सकती है।

आपकी रुचि 
आप भले ही बायोडाटा में अपनी रुचियों को सबसे नीचे लिखते हों लेकिन इनका प्रभाव बायोडाटा देखने वाले पर यकीनन पड़ता है। कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोध की मानें तो अक्सर इंटरव्यू के दौरान आपकी रुचियों को आपकी फ्लेक्सीबिलिटी से जोड़कर देखा जाता है। इससे यह अंदाजा लगाना आसान होता है कि आप कितने अलग-अलग कार्यों की मल्टीटास्किंग में सक्षम हो सकते हैं।

सीधी बात 
बायोडाटा में आप अपने से जुड़ी हर जानकारी लिखते वक्त ध्यान रखें कि वह इतनी साफ और सीधी हो कि आप जो बताना चाहते हैं उसे लेकर पढ़ने वाले के मन में कोई संशय न हो सके।

भाषाई गलती से बचें 
बायोडाटा में आप क्या लिखते हैं और किस तरह लिखते हैं, यह जितना जरूरी है उतना ही जरूरी है कि आप भाषा से संबंधित कोई गलती न करें। यह आपकी योग्यता पर सवाल उठा सकता है। इतना ही नहीं, भाषाई गलती आपके काम के परफेक्शन के लिए एक नकारात्मक संदेश हो सकती है। ऐसे में बायोडाटा बनाने के बाद उसे दो से तीन बार जरूर पढ़ें, जिससे अशुद्धियां दूर हो सकें।